शाकाहारी बनना है तो अपनी संस्कृति अपनाएं।

by December 26, 2015 0 comments

ऐसा सच जो अपने को शाकाहारी कहने वालों को चौंका देगा....!!!

सरकार द्वारा लाईसेंस प्राप्त भारत में कुल 3600 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास पशुओं को काटने का लाईसेंस है।

इसके अलावा 35000 से अधिक छोटे मोटे कत्लखाने हैं जहाँ हर साल 4 करोड़ पशुओं का कत्ल किया जाता है। ये सभी गैर कानूनी ढंग से चल रहे हैं।

इसमें गाय ,भैंस , सूअर, बकरा ,बकरी , ऊंट,मुर्गीयाँ आदि सभी शामिल हैं।

भारत में ऐसे केवल 20% लोग है जो रोज माँस खाते हैं और सब तरह का माँस खाते है

माँस के अलावा दूसरी जो चीज क़त्ल से प्राप्त की जाती है वो है तेल,जिसे Tellow कहते हैं ।

गाय के माँस से जो तेल निकलता है उसे Beef Tellow और सूअर की माँस से जो तेल निकलता है उसे Pork Tellow कहते है ।

इस तेल का सबसे ज़्यादा उपयोग चेहरे पर लगाने वाली क्रीम बनाने में होता है।
जैसा कि आप सब जानते होंगे क़ि मद्रास हाई कोर्ट में श्री राजीव दीक्षित ने विदेशी कंपनी  के खिलाफ केस जीता था ।
जिसमे कंपनी ने खुद माना था कि वो क्रीम में सूअर की चर्बी का तेल मिलाते हैं।

कत्लखानों मे माँस और तेल के बाद जानवरों का खून निकाला जाता है। उस खून का सबसे ज्यादा उपयोग अँग्रेजी दवा (एलोपैथिक) बनाने में किया जाता है। पशुओं के शरीर से निकले हुए खून से एक दवा बनाई जाती है

यह बहुत ही प्रसिद्ध दवा है और डाक्टर इसको खून की कमी होने पर महिलाओं को लिखते हैं खासकर जब वो गर्भावस्था मे होती है ।

क्योंकि  तब महिलाओं में खून की कमी आ जाती है और डाक्टर इसका लाभ उठाते हुए उनको ये दवा इसलिए लिख देते है क्योंकि उनको दवा कंपनियों से बहुत भारी कमीशन मिलता है ।

इसके अलावा इस रक्त का उपयोग बहुत बड़े पैमाने पर लिपस्टिक बनाने में होता है।

रक्त का एक और उपयोग चाय बनाने में भी बहुत सी कंपनियाँ करती है।

आप सोच रहे होंगे....कैसे ???

चाय तो पौंधों से प्राप्त होती है और चाय के पौंधे का आकार भी उतना ही होता है जितना गेहूँ के पौंधे का होता है।

उसमें पत्तियाँ होती हैं और पत्तियों के नीचे का जो हिस्सा टूट कर गिरता है जिसे डंठल कहते हैं आखिरी हिस्सा। लेकिन ये चाय नहीं है ।

तो फिर कैसे रक्त चाय के उपयोग में लाया जाता है???

आइये जाने...!!!

चाय के उस निचले हिस्से को सूखाकर पानी में डालें तो चाय जैसा रंग नहीं आता।

इसलिए विदेशी कंपनियाँ क्या करती हैं क़ि जानवरों के खून को इसमें मिलाकर सूखाकर डिब्बे मे बंद कर बेचती हैं ।
तकनीकी भाषा में इसे Tea Dust कहते हैं ।

इसके आलावा कुछ कंपनियाँ नेल पोलिश बनाने ने इसका उपयोग करती हैं।

मांस, तेल ,खून के बाद कत्लखानों मे पशुओं की हड्डियाँ निकलती हैं । इसका उपयोग टूथपेस्ट बनानेवाली कंपनियाँ करती हैं ।

शेविंग क्रीम बनाने वाली कंपनियाँ भी इसका उपयोग करती हैं ।

और आजकल इन हड्डियों का उपयोग टैल्कम पाउडर बनाने में भी होने लगा है। क्योंकि  ये थोड़ा सस्ता पड़ता है।

वैसे टैल्कम पाऊडर पत्थर से बनता है। और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है पर पशुओं की हड्डियों का पाऊडर 25 से 30 रुपए किलो मिल जाता है।

इसके बाद गाय के ऊपर की जो चमड़ी है उसका सबसे ज्यादा उपयोग क्रिकेट बॉल बनाने में किया जाता है।

आजकल एक और उद्योग में इस चमड़े का बहुत उपयोग हो रहा है वो है जूते चप्पल बनाने में ।

अगर जूता चप्पल बहुत ही नरम है तो वो 100 % गाय के बछड़े के चमड़े का बना है । और अगर कड़क है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का ।

इसके इलावा चमड़े का उपयोग पर्स ,बैल्ट व सजावट के सामान में किया जाता है।

गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग है, जैसे गाय में बडी़ आंत।इसको पीस कर जिलेटिन बनाई जाती है।

जिसका बहुत ज्यादा उपयोग
capsule का कवर, आईसक्रीम, चॉकलेट , मैग्गी, पीज़ा, होटडॉग, चौमिन आदि के मूलभूत सामग्री बनाने में होता है।
आजकल जिलेटिन का उपयोग साबूदाना में होने लगा है । जो हम उपवास में खाते हैं।

Vibudhah

Writers:- Rajan Pushkarna, Viney Pushkarna, Pooja Pushkarna, Vibudhah Office

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