मानव लिन्ग-वीर्य का पान करके अपने को रोग मुक्त कर लिया है / उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक गांव का उदाहरण है / इस गांव के एक व्यक्ति को TB हुयी, यह उस समय की बात है , जब टी०बी० के इलाज के लिये स्ट्रेप्टोमाय्सीन जैसी दवायें आसानी से उपलब्ध नहीं थीं और लोग टी०बी० के इलाज के लिये आयुर्वेद की चिकित्सा पर ही आधारित थे / गरीब आदमी और ऊपर से टी०बी० जैसी बीमारी, पैसा था नही, इलाज कहां से कराता, नजदीक के गांव के पास के एक अच्छे वैद्य के पास जब इलाज के लिये गया तो वैद्य ने कहा कि इस बीमारी का इलाज बहुत महन्गा होता है , यह तो “राज रोग” है , इस तरह के रोग तो राजा और महाराजाओं को होते है, गरीब आदमी को यह रोग हुआ तो समझो, यमराज के घर का रास्ता पक्का / अब तुम्हारे पास पैसा है नही, कीमती दवाओं की जरूरत पड़्ती है, उसका तुम लागत मूल्य भी नहीं दे सकते, तुम्हारी बीमारी कैसे ठीक होगी ?
Materia Medica of Ayurveda ; DRAVYA GUN VIGYAN Volume III written by Prof P.V. Sharma, which mentions the medicinal properties of SEMEN and Female Hormones
Scanned page of the above mentioned Ayurvedic Materia Medica containing the details of the qualities and charecteristics of SEMEN of various origins
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यह रोगी घबराया और बोला , “वैद्य जी आप ही कोई रास्ता बताइये ” / बैद्य जी खान्दानी वैद्य थे और उनकी कई पुश्तें आयुर्वेद का चिकित्सा अभ्यास कार्य करती चली आ रही थीं / उनके पूर्वजों का शायद अनुभव था कि मानव वीर्य का पान करने या पीने से “राज यक्षमा” या PULMONARY TUBERCULOSIS ठीक हो जाती है /
वैद्य जी ने उसको अकेले मे ले जाकर समझाया कि अगर टी०बी० की बीमारी से ठीक होना चाह्ते हो तो रोजाना सुबह और शाम मानव वीर्य को पियो और यह काम आज से ही शुरू कर दो / किसी स्वस्थ, बलवान और हट्टे कट्टे मनुष्य का वीर्य पियोगे तो शीघ्र लाभ होगा /
इस रोगी के पास पैसा था नही, मरता क्या न करता वाली स्तिथि थी / एक तरफ जान बचाने के लिये प्रयास में ऐसा गन्दा काम , दूसरी तरफ पैसे का नितान्त अभाव / अन्त मे कुछ लोगों ने सलाह दी कि जान और प्राण बचाने के लिये किये जाने वाले सभी काम जायज हैं, काया राखे धर्म है, वाली बात थी /
लेकिन अपना लिन्ग पिलाने के लिये गांव का कोई व्यक्ति तैयार नहीं हुआ / बड़ी मिन्नतें करने के बाद कुछ लोग तैयार हुये / किसी ने कहा जान बचाने के लिये यह सब करना दान का काम है /
इस प्रकार से मानव वीर्य पीने से उसका स्वास्थय कुछ दिनों में सामान्य होने लगा और कुछ महीनों बाद उस व्यक्ति को आरोग्य प्राप्त हो गया और वह स्वयम हट्टा कट्टा और तन्दुरुस्त हो गया /
महिलाओं की योनि चाटने या चूसने से कुछ मानसिक विकारों , मानसिक अवसाद, हार्मोनल डिस्टरबेन्सेस के रोगी ठीक हुये है, इनमे से कुछ मानसिक भ्रान्ति के शिकार शिकार थे / मानसिक अवसाद के कुछ रोगियों ने बताया कि उनकी मानसिक दुर्बलता, चिडचिड़ापन, मानसिक उत्तेजना, अत्यधिक क्रोध आना, मानसिक भय आदि विकार महिला योनि के चूषण से ठीक हुये है / रात या दिन में नींद न आने की तकलीफ अथवा अनिद्रा के कुछ रोगियों ने स्वीकार किया कि महिला योनि के चाटने और चूसने और उसका स्राव पीने के बाद उनकी अनिद्रा की बीमारी ठीक हो गयी / सभी महिला योनि चूसने वालों ने स्वीकार किया है कि योनि चूसने के बाद सन्सर्ग अथवा सम्भोग कतई न करें, अगर सम्भोग किये जाते है तो इसका उलटा असर होता है, इसलिये ऐसे कार्य से बचना चाहिये / यानी योनि चूसण के पश्चात सम्भोग कतई नहीं करना चाहिये बर्ना उल्टे बीमारी बढ जाने की आशन्का पैदा हो जाती है /
बहुत से चिकित्सकों का मानना है कि हार्मोनल स्राव के अनियमित या proper न मिल पाने से या पुरूष को महिला हार्मोन की जरूरत हो या महिला को पुरूष हार्मोन की जरूरत हो और यह पूरा न हो सकता हो तो पुरूष लिन्ग और महिला योनि के चूषण या चूसने से यह पूरा हो जाता है जो स्वास्थय के लिये लाभदायक प्रक्रिया साबित हो सकती है /
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