दाम्पत्य का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है- सेक्स, इसलिए हर पति-पत्नी को सेक्स के बारे में अपने साथी के विचारों और सेक्स संबंधों से होने वाले फायदे की जानकारी होनी चाहिए. यह जानकारी हमें मिलती है - कामसूत्र से. उसी तरह संभोग सुख का आनंद उठाने की शक्ति प्रदान करता है - आयुर्वेद.


.

एरंड पाक का सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता नष्ट होती है, पाचन शक्ति तीव्र होने से भोजन शीघ्र पचता है और शारीरिक यौनशक्ति विकसित होती है. शीतऋतु में एरंड पाक का सेवन करने से मुंह का रोग नष्ट होता है तथा अन्य वात विकारों में भी यह बहुत गुणकारी होता है. इसे 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करना चाहिए.

.



अदरक के सेवन से वात विकार नष्ट होते हैं. शीतऋतु में अदरक का सेवन करने से वात रोगों से मुक्ति मिलती है. प्रतिदिन 10 से 20 ग्राम की मात्रा में अदरक पाक सुबह-शाम सेवन करने से अग्निमांध, श्वास, खांसी आदि रोग नष्ट होते हैं और पाचनक्रिया मजबूत होती है.

आम्र-पाक वीर्यवर्धक होता है, अतः शुक्र (वीर्य) विकार से पीड़ित पुरूषों के लिये इसका सेवन बहुत लाभप्रद है. आम्र-पाक से रक्त का निर्माण होता है तथा वीर्य की वृद्धि होने से यौनशक्ति विक्सित होती है. भोजन से पहले 20 से 25 ग्राम की मात्रा में दूध या जल के साथ आम्र-पाक सेवन करने से शारीरिक शक्ति विक्सित होती है.

छुहारे में खजूर के सभी गुण विघमान रहते हैं तथा इनका यौन शक्ति व क्षमता पर बेहद चमत्कारी प्रभाव पड़ता है. वीर्य का अभाव होने पर छुहारे को दूध में उबालकर सेवन करने से वीर्य वृद्धि होती है तथा शारीरिक शक्ति बढ़ती है.


बादाम पाक का सेवन करने से बल, वीर्य और ओजा की वृद्धि होती है. बादाम पाक रस-रक्तादी धातुओं की वृद्धि करके शरीर की शक्ति और कांटी बढ़ा देता है. नपुंसकता और स्नायु दुर्बलता में बादाम पाक का सेवन बेहद फायदेमंद है. 10 से 20 ग्राम की मात्रा में बादाम पाक प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से मष्तिष्क और ह्रदय की निर्बलता नष्ट होती है तथा शरीर हष्ट-पुष्ट होता है.

सौंठ पाक का सेवन करने से स्त्रियों के कई रोग नष्ट होते हैं. यह शारीर की निर्बलता को नष्ट करके शरीर को सुन्दर बनाता है तथा ऋतुस्त्राव संबंधी विकारों में भे बेहद फायदेमंद है. ऋतुस्त्राव में होने वाले कष्ट को यह पाक नष्ट करता है तथा योनि विकारों में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है.

सर्दी के दिनों में इसे हलवे, दूध, अन्य पेयों अथवा खाघ पदार्थों में मिलाकर खाने की प्रथा है. केसर शरीर के विभिन्न अंगों को शक्ति देने में उपयोगी है. इसके प्रयोग से वृद्ध शरीर में भी जान पड़ जाती है. केसर का स्वभाव कुछ अधिक गर्म होता है, इसलिए इसे गर्भवती महिलाएं और उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को प्रयोग में नहीं लाना ह्काहिये, परन्तु जिन महिलाओं को मासिक धर्म आने में कष्ट हो वे यदि इसका प्रयोग करें तो लाभ होगा.

का सेवन करने से सभी तरह के विकार दूर होते हैं तथा शारीरिक निर्बलता, अतिसार, मस्तिष्क के रोग और धातु स्नान में बहुत लाभ मिलता है. दिन में दो-तीन बार 6 से 10 ग्राम की मात्रा में जल के साथ अनार का सेवन करने से काफी लाभ होता है. इसका अवलेह बनाने के लिये चाशनी में जावित्री, काली मिचर, जायफल, पीपल, सौंठ, दाल्चीने और लौंग का चूर्ण प्रयोग में लाया जाता है.



लहसुन पाक का सेवन लिंग दुर्बलता और नपुंसकता को दूर करता है. अपनी शक्ति के अनुसार 10 से 20 ग्राम तक लहसुन की कलियाँ शहद के साथ सुबह-शाम खाने पर कामशक्ति जाग्रत होती है और नपुंसकता का दमन करती है. स्त्रियों के लिये भी लहसुन काफी फायदेमंद है.

सुपारी पाक स्त्रियों के स्वस्थ्य सौंदर्य के लिये बहुत गुणकारी होती है तथा पुरूषों को इसके सेवन से शारीरिक शक्ति विक्सित होती है. सुपारी पाक का सेवन करने से स्त्रियों के सभी योनि विकार नष्ट होते हैं तथा इस पाक से गर्भाशय को शक्ति मिलाती है.

के सेवन से काम शक्ति की कमी, प्रमेह रोग, दुर्बलता हस्तमैथुन आदि पुरूष रोग दूर होते हैं. एक चम्मच शहद और एक चम्मच ताजा प्याज का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से कामभाव का ठहराव कम होता है और इससे काम भावना में जादू सा असर होता है.

दाल-चीनी में औषधीय गुण पाए जाते हैं. प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन बी एवं सी काफी मात्रा में पाए जाते हैं. रात को सोते समय दाल-चीनी का बारीक चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेकर दूध पीने से वीर्य की वृद्धि होती है एवं पाचन संबंधी दोष दूर होते हैं.
0 comments:
Post a Comment
Thanks for Commenting.