आप सबको मेरा अभिनंदन,
आशा है आपको हमारे पुर्व लिखित लेख पसंद आये होंगे और आपने वो ज्ञान आपने दैनिक जीवन में अपनाया भी होगा।
तो आज हम आरम्भ करने जा रहे हैं मनुष्य की नाड़ियां। नाड़ी एक सूक्षम प्रवाह वाहिनी होती है जिसका जाल हमारे पूर्ण शरीर में फैला यह जाल नाभि के ऊपर से पूर्ण शरीर में फैला हुआ होता है। कुल 72 हज़ार नाड़ियां नदी के भांति हमारे शरीर को पोषण करती हैं। यह नाड़ियां 33 प्रकार की गुणों से बनी होती हैं भाव कार्य करती हैं जिस प्रकार यह नाड़ियां 33 प्रकार की मानी जाती हैं।
1 प्रजापति, 1 इंद्र, 8 अटवसु, 12 द्वादश आदित्य, 11 एकादश रूद्र 33 प्रकार के देव होते हैं वैसे ही 33 प्रकार की नाड़ियां है जिनमे 10 मुख्य नाड़ियां है ।
1इड़ा:- यह नाड़ी शरीर के वाम अंग में स्थित होती है। इसका गुण ठंडा होता है एवं यह दिमागी कार्यों में कार्य करती है।
2पिंगला:- यह नाड़ी शरीर के दक्षिण अंग में स्थित होती है। इसका गुण गर्म होता है एवं यह शरीरिक कार्यों में कार्य करती है।
3 सुष्मना:- यह नाड़ी शरीर के मध्य मेरुदण्ड में उपस्थित होती है इसके मूल में शक्ति सर्प के भांति सुप्त अवस्था में रहती है जिसे कुण्डलिनी शक्ति भी कहा जाता है।
इन तीन मुझी नाड़ियों के इलावा 7 नाड़ियां और हैं जो मुख्य रूप से कार्य करती हैं। इस प्रकार हैं गांधारी, हस्तिजिह्वा, पूषा, यशा, व्यूशा, कुहू, शंकनी। जिनकी जानकारी आपको आगे के लेख में बताई जायेगी।
धन्यवाद करता
विबुधः टीम
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