सम्पूर्ण संसार में भारत कला संस्कृति के लिए अपनी एक पहचान रखता है| डांस भारत कला संस्कृति का ही एक एक अंग है जो भारत चिकित्सा में भी एक विशेष भूमिका निभाता है | परन्तु आज भारतीये नृत्य कला को कहीं खोया खोया पाया जा रहा है और इसके गुण भी छुपते जा रहे हैं जिसका मुख्य कारण जानकारी का अभाव है | नृत्य का सांस्कृतिक महत्व तो है ही लेकिन इसका आध्यात्मिक एवं चिकित्सीय महत्व भी है| शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे डांस थेरपी के रूप में प्राकृतिक चिकित्सा में स्थान दिया गया है | इस में एक्युप्रेशर, योगासन, प्राणायाम, नादयोग, मन्त्रयोग, मुद्रयोग, ध्यान एवं आत्मसम्मोहन का समावेश है |
हमारी रिसर्च :-
An Article Submitted By:-
Dr. Viney Pushkarna (N.D),
Founder & Director Of PRANA
Email (O):- prana@consultant.com
Email (P):- viney@doctor.com
Mobile:- +91-99149-12966
हमारी रिसर्च :-
- एक्युप्रेशर:- डांस चाहे कोई भी हो कत्थक, भांगड़ा, भरतनाट्यम आदि सभी में पैर की थाप से शरीर के फुट रिफ्लैक्स बिंदुओं पर दबाव डालता है जिससे शरीर के तमाम तंत्र सही तरीके से काम करना शुरू कर देते हैं | जो शरीर के स्त्रावी ग्रंथियों के हार्मोन्स के स्तर को संतुलित करता है |
- योगासन :- हाथ, पैर, गर्दन, आँखें एवं बाकी शरीर के संचालन से योगासन से आसान स्वयं हो जाते हैं| जिससे शरीर की चर्बी दूर होकर मांसपेशियां एवं कंकाल मजबूत होता है और रक्त प्रवाह संतुलित हो जाता है |
- प्राणायाम :- नृत्य करते करते शरीर के साथ साथ साँसों और फेफड़ों का व्यायाम अपने आप हो जाता है और ऐसे ही प्राणायाम भी हो जाता है | प्राणायाम से शरीर सौंदर्य बढता है और पंचतत्वों का संतुलन होता है जिससे प्रतिरोधक क्षमता बदती है और त्वचा में क्रांति आ जाती है |
- ध्यान:- नृत्य करते करते मनुष्य एक अदभुत मुद्रा में चला जाता है और उसमे खुद को लीन कर आत्म शान्ति प्राप्त करता है इस से ध्वनियोग, मन्त्रयोग के सह्योग से नाद्ब्रम्ह की उत्पति होती है जो आत्मसंतुष्टि का अहसास करती है |
- उर्जा :- नृत्य करते करते हमारे शरीर से उर्जा उत्पन्न होती है जो हमारे शरीर को बहरी समस्याओं से बचाती है और एक शरीर की इर्द गिर्द एक औरा बना देती है जो हमे बाहरी नुक्सान से बचाती हैं |
- हमने इस पद्दति से तनाव दूर किया है
- इसी पद्दति को अपना हम आत्म विश्वास उत्पन्न कराते है
- इस पद्दति से शरीर की कई बिमारियों का इलाज किया गया है
आप इसका प्रयोग किसी अच्छे प्राकृतिक चिकित्सक याँ " PRANA" के किसी केन्द्र से शिक्षा लेने के उपरांत ही करें |
An Article Submitted By:-
Dr. Viney Pushkarna (N.D),
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