सामान्य परीक्षण
सामान्य गर्भावस्था में भी किन-किन रोगों का परीक्षण नियमित रूप से किया जाता है?
लगभग सभी सामान्य गर्भों के दौरान एड्स, हैपेटिटिस - बी, साईफिलिस, आर एच अनुपयुक्तता और रूबेला का नियमित परीक्षण किया जाता है। गर्भकाल में अलग-अलग समय पर रक्त के सैम्पल लेकर डॉक्टर इन स्थितियों का परीक्षण करते हैं।
जन्मजात रोगों के सम्बन्ध में व्यक्ति को कब चिन्ता करनी चाहिए?
आपके बच्चे को जन्मजात रोगों का खतरा अधिक हो सकता है यदि वह निम्नलिखित तीन कारणों में से किसी में आता है। (1) पहले बच्चे में जन्मजात रोग (2) परिवार में जन्मजात विकारों का इतिहास जिनके दोहराये जाने की सम्भावना रहती है। (3) यदि मां की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो तो बच्चे में अभावपरक संलक्षणों का खतरा बढ़ जाता है।
क्या सामान्य रक्त परीक्षणों से जन्मजात विकारों को परखा जा सकता है?
अध्ययन से पता चलता है कि प्रसव पूर्व होने वाली रक्त की जांचों से 90 प्रतिशत जन्मजात विकारों का पता नहीं चल पता है। जाने जा सकने योग्य 10 प्रतिशत जन्मजात रोगों के लिए अलग से चार प्रकार के टैस्ट हैं - एमनियोसेन्टीसिस, करौलिक विलि सैम्पलिंग, अल्फा फैटो प्रोटीन (ए एफ पी) जैसे टैस्ट और अल्ड्रासाउण्ड स्कैनस।
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सामान्य देखभाल
स्वास्थ्य परक आहार पर इतना अधिक जोर क्यों दिया जाता है?
अपने अजन्में बच्चें के पोषण की आप एकमात्र स्रोत हैं, आपके खाने की प्रवृत्ति का बच्चे के स्वास्थ्य और कुशल क्षेम पर प्रभाव पड़ता है। बड़ी हुई जरूरत को पूरा करने के लिए आप के शरीर को पर्याप्त पोषण की जरूरत होती है।
गर्भवती माँ को कितनी कैलोरी की जरूरत होती है?
गर्भवस्था के प्रारम्भिक महीनों में आप को अपने आहार में बदलाव लाने की जरूरत नहीं है। गर्भ के बढ़ने के साथ साथ आप को कैलोरी की मात्रा में लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरिस जोड़ लेने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा सामान्यतः दूसरे और तीसरे ट्रिमस्टर में होता है। यहि आप अधिक खाते हैं तो आप का ही वज़न बढ़ेगा न कि आपके बच्चे का। इसलिए ध्यान रखें कि आप बरगर, तले पदार्थ, बिस्कुट जैसे केवल कैलोरी बढ़ाने वाले पदार्थ न लें। वस्तुतः आप को जरूरत होती है - प्रोटीन कार्बोहाइड्रेटस एवं मिनरल तथा विटामिन युक्त भोजन की जैसे कि चपाती, दालें, सोया, दूध अण्डे और सामिष भोजन, मेवे, हरे पत्तों वाली सब्जियां और ताजे फल।
लोग कहते हैं कि गर्भवती महिला दो जनों के लिए खाती है?
गर्भ के कारण आप को दो के बराबर खाने की जरूरत नहीं है। सच यह है कि अगर आप दो के बराबर खायेंगे तो आप का वज़न इतना बढ़ जायेगा कि आप अपने लिए अनावश्यक रूप से परेशानियां बढ़ा लेंगी और बाद में उसे घटाने में बहुत परेशानी होगी।
गर्भवती महिला के लिए सन्तुलित भोजन कौन सा होता है?
गर्भकाल के दौरान आप के आहार में निम्नलिखित होने चाहिए -3 बार श्रेष्ठतम प्रोटीन - अण्डा, सोयाबीन, सामिष।2 बार विटामिल सी युक्त पदार्थ - रसीले फल, टमाटर4 बार कैलशियम प्रधान पदार्थ (गर्भकाल में 4 बार स्तनपान में 5 बार) जैसे दूध, दही।3 बार हरी पत्तों वाली और पीली सब्जियां या फल पालक, बथुआ, छोले, सीताफल, पपीता, गाजर।1/2 बार अन्य फल एवं सब्जियां - बैंगन, बन्द गोभी4-5 बार साबुत अनाज और मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस - चपाती चावल8-10 गिलास पानीडॉक्टर के परामर्श के अनुसार आहार परक दवाएं।
एक गर्भवती महिला को किन आहार पूरक दवाओं की जरूरत होती है?
एक गर्भवती महिला को अपने आहार में विटामिन, आयरन और कैलशियम की जरूरत रहती है। आयरन फोलिक और कैलशियम की गोलियां सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त उपलब्ध रहती हैं। ये दवाएं आमतौर पर सुविधा से उपलब्ध होती हैं कौन सी दवा लेनी है इसका सुझाव डॉक्टर से लेना चाहिए।
स्वस्थ गर्भ में कितने वज़न का बढ़ना आदर्श माना जाता है?महिला का वज़न औसतन 11 से 14 किलो के बीच बढ़ना चाहिए।
ट्रिमस्टर के अनुसार वज़न के बढ़ने का श्रेष्ठतम स्वरूप क्या है?
ट्रिमस्टर के अनुसार वज़न बढ़ने का आदर्श स्वरूप इस प्रकार है।
1. पहला ट्रिमस्टर - 1 से 2 किलो
2. दूसरा ट्रिमस्टर 5 से 7 किलो
3. चार से पांच किलो।
गर्भ के दौरान चाय, कॉफी अथवा फिजिपेय का पीना क्या सुरक्षित है?
गर्भ के दौरान चाय, कॉफी अथवा फिजिपेय पदार्थों का पान बहुत सीमित होना चाहिए।
कम पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थों की तीव्र इच्छा को कैसे वश में करें।या किसी अस्वास्थ्यकारी वस्तु के लिए तीव्र इच्छा जागृत हो तो पहले अपने मन को उधर से हटायें या उसका विकल्प ढूंढ लें। अगर फिर भी मन न माने तो जो भी लें थोड़ सा लें, अपने मन को समझा लें कि अपने बच्चे की पोषक परक जरूरतों से आपने कोई समझौता नहीं करना है।
यदि किसी विशिष्ट अखाद्य पदार्थ को खाने की अनोखी इच्छा जगे तो कोई क्या करें?
डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि उस में कोई पोषण परक विकार पैदा हो रहा है।
गर्भ के दौरान कब्ज से कैसे छुटकारा मिल सकता है?
कुछ गर्भवती महिलाओं का अर्धाश इस कब्ज से पीड़ित रहता है। कुछ सामान्य उपचार के साधन हैं। (1) 1-2 गिलास जूस सहित कम से कम 8 गिलास पानी पियें। (2) अपने भोज में अनाज, कच्चे फल और सब्जियों की मात्रा अधिक करें उन में फाइवर अधिक हो (3) हर रोज़ व्यायाम करें - सैर करना व्यायाम की अच्छी शैली है। व्यायाम एवं अच्छी शारीरिक स्थिति व्यक्ति को उसका पेट साफ रखने में मदद देती है। (4) अगर कब्ज बार बार होने लगे तो डॉक्टर की सलाह से कोई कब्ज निवारक दवा दें।
गर्भ के दौरान मसूड़ों का सूजना या उनसे रक्त आना स्वाभाविक क्रिया है?
गर्भ के दौरान शरीर में जो अतिरिक्त हॉरमोन आ जाते हैं उन से मसूड़े सूज सकते हैं या उन से रक्त आ सकता है। नरम टुथब्रश लेकर नियमित रूप से ब्रश करते रहें। गर्भ की प्रारम्भिक स्थिति में दांतों का चैक अप करवा लेना चाहिए ताकि मुख को स्वास्थ्य सही रहे।
छाती में जलन से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
छाती की जलन से बचने के लिए (1) बार-बार परन्तु थोड़ा थोड़ा खायें, दिन में 2-3 बार खाने की अपेक्षा 5-6 बार खायें। भोजन के साथ अधिक मात्रा में तरल पदार्थ न लें। (2) वायु-विकार पैदा करने वाले, मसालेदार या चिकने भोजन से बचें। (3) सोने से पहले कुछ खायें या पियें नहीं (4) खाने के दो घन्टे बाद ही व्यायाम करें। (5) शराब या सिगरेट न दियें। (6) बहुत गर्म या बहुत ठन्डे तरल पदार्थ न लें।
गर्भकाल के दौरान यौन-सम्भोग करते रहना क्या सुरक्षित होता है?
कुछ दम्पतियों को गर्भकाल में सम्भोग करने से चिन्ता होती है। उन्हें गर्भपात का भय लगा रहता है। स्वस्थ महिला के सामान्य गर्भ की स्थिति में गर्भ के अन्तिम सप्ताहों तक कुछ दम्पतियों को गर्भकाल में सम्भोग करने से चिन्ता होती है। उन्हें गर्भपात का भय लगा रहता है। स्वस्थ महिला के सामान्य गर्भ की स्थिति में गर्भ के अन्तिम सप्ताहों तक सम्भोग सुरक्षित होता है। आप और आप का साथी आरामदायक स्थिति में सम्भोग कर सकते हैं।
गर्भकाल में टांगों में पड़ने वाले क्रैम्पस क्या सामान्य हैं?
हां, गर्भ के दूसरे और तीसरे ट्रिमस्टर में हो सकता है कि आप की टांगों में कैम्पस बढ़ जाये। अधिक मात्रा में कैलशियम लें। (तीन गिलास दुध या दवा) और पोटैशियम (केला संतरा) लें। सोने से पहले टांगों का खिंचाव देकर सीधा करने से शायद आपको कुछ राहत मिले।
क्या गर्भ के दौरान यात्रा करनी चाहिए?
अधिकतर औरतें सुरक्षित रूप से यात्रा कर लेती है। जब तक कि प्रसव काल नज़दीक नहीं आ जाता। अधिकतर, गर्भावस्था के मध्यकाल को सब से सुरक्षित माना जाता है। इस दौरान कम से कम समस्याएं होती है।
गर्भकाल के दौरान व्ययाम क्यों करना चाहिए?
निम्नलिखित कारणों से व्यायाम करना चाहिए (1) आकृति और अभिव्यक्ति में सुधार लाने के लिए (2) पीठ दर्द से छुटकारे के लिए (3) प्रसव काल के लिए मांसपेशियों को सशक्त बनाने और ढीले पड़े जोड़ो को सहारा देने के लिए (4) मांसपेशियों के कैम्पस से राहत के लिए (5) रक्त संचार को बढ़ाने के लिए (6) लचीलेपन को बढ़ाने के लिए (7) थकावट दूर करने के लिए ऊर्जा वृद्धि के लिए (8) भले चंगे होने की भावना भरने और आत्मछवि के सकारात्मक विकास के लिए। आपका डॉक्टर आप को सही ढंग से व्ययाम के सम्बन्ध में बतायेगा।
क्या व्यायाम से मेरे बच्चे को लाभ पहुंचेगा?
हां भ्रूण के लिए व्यायाम अति उत्तम है क्योंकि इस से रक्त प्रवाह बढ़ता है और बच्चे की वृद्धि और विकास को सुधारता है। व्यायाम से बच्चे का मस्तिष्क और अन्य टिशु श्रेष्ठ स्थिति में काम करने लगते हैं।
गर्भकाल के दौरान कौन सा व्यायाम सुरक्षित माना जाता है?
किसी प्रकार के खेल-कूद या व्ययाम को जारी रखने में कोई समस्या नहीं है, जब तक कि वह सीमा में हो। फिर बी पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
किस प्रकार का व्यायाम बिल्कुल नहीं करना चाहिए?
जॉगिंग जैसा व्यायाम रीढ, श्रोणि, नितम्बों, घुटनों स्तनों और पीठ पर बड़ा भारी पड़ता है। इसलिए उसे नहीं करना चाहिए। जिस व्यायाम से पेट की मांसपेशियां खिंचे जैसे टांगे उठाना, उठक बैठक भी गर्भ के दौरान नहीं करने चाहिए। और गर्भवती नवीन चेष्टाओं से तालमेल बैठाने में शरीर को कुछ समय लगता है। चौथे महीने के बाद, पीठ के बल लेटकर व्यायाम न करें, क्योंकि आपके गर्भाशय का वज़न रक्त वाहिकाओं को दबा सकता है और रक्त भ्रमण में बाधा दे सकता है।
गर्भधारण करने के कितने समय बाद तक मैं काम करती रह सकती हूँ?
जिस गर्भवती महिला को कोई समस्या न हो वह नौवें महीने तक काम करती रह सकती है। हाँ, उन्हें कुछ सावधानियां बरतनी पडेंगी जैसे कि भारी थकान वाली गतिविधि से बचें, सीढ़ियां चढ़ने, तापमान की अति और धुये भरे क्षेत्र से दूर रहें। बार-बार आराम करें और यदि थकान लगे तो जल्दी ही काम से लौट जायें यदि बहुत देर तक खड़ी रही हैं तो बैठ जायें और पैर ऊपर कर लें। अन्तिम तीन महीनों में लम्बे समय तक खड़े रहना, भारी चीज़ों को उठाना, मुड़ना या झुकना नहीं चाहिए। गर्भवती महिला को नियमित भोजन करना चाहिए एक जगह बैठकर किया जाने वाला काम जिस से ज्यादा परेशानी न हो वह घर बैठने की अपेक्षा कम दबाव वाला होता है।
गर्भकाल में निम्नलिखित तकनीकें सहायक होती हैं-
1. पीठ के बल लेटो सिर तकिये पर हो और टांगों का निचना भाग कुर्सी पर हो। आंखें बन्द कर के 10-15 मिनट तक आराम करें। पैरों और टखनों की सूजन से भी इस में राहत मिलती है।
2. बगल से लेटो और सिर के नीचे तकिया रख लो, भुजा के ऊपरी भाग को ओर टांगों को ऊपर की ओर खीचों, घुटने के नीचे तकिया रख लो। टांग के निचले भाग को सीधा रखो। आंखे बन्द करो और मस्तिष्क को साफ करो। श्वास अन्दर भरो और दस तक गिनो। धीरे धीरे श्वास बाहर निकालो। पूरी तरह विश्राम करो।
गर्भवती महिला को बाई ओर सोना चाहिए, ऐसा सुझाव डॉक्टर क्यों देते हैं?
हालांकि पीठ के बल सोना शुरू में अधिक आरामदायक हो सकता है। इस से पीठ में दर्द और हॉरमोरोहोऑटाडस हो सकता है और पाचन, श्वसन और रक्त भ्रमण में रूकावट आती है ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भाशय का सारा वज़न पीठ पर आ जाता है। जबकि बाई ओर के अंगों को सीधा करने से रक्त स्राव भरपूर होता है और बीजाण्ड है। जबकि बाई ओर के अंगों को सीधा करने से रक्त स्राव भरपूर होता है और बीजाण्ड का पोषण होता है, किडनी का कार्य सुचारू रूप से होता है जिस से मल का त्याग बेहतर रूप से होता है (जिसके न होने से सूजन आता है) अतः इसे अत्यन्त आरामदायक स्थिति माना जाना चाहिए।
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एच आई वी और गर्भ
यदि मां में एच आई वी पॉजिटिव हो तो बच्चे के एच आई वी पॉजिटिव होने की कितनी सम्भावना होती है?
उसके एच आई वी पॉजिटिव होने की सम्भावना 25 प्रतिशत है।
ऐसी मां के पास कौन से विकल्प है जिनसे कि वह अपने बच्चे को इस रोग के संक्रमण से बचा सके?
एच आई वी पॉजिटिव महिला को गर्भकाल के दौरान अधुनातन व्यस्क निर्देशों के अनुसार संस्तुत जो भी इन्टीवाइरल कीमोथैरेपी हो उसे लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रसव के तीन घन्टे पूर्व तथा काट कर किए जाने वाले प्रसव के तौरान इन्टरावीनस थैरेपी के साथ इन्टीवाइरल लेना चाहिए। जन्म के पहले छ सप्ताह तक बच्चे का इन्टीवाइरल सिरप लेना होगा इस समय नये जन्मे बच्चे में इस के संक्रमण की सम्भावनाओं को न्यूनतम बनाने के लिए श्रेष्ठतम थैरेपी है। सुझाव है कि ऐसे में शल्यक्रिया द्वारा ही प्रसव करायें।
यदि महिला एन्टी वाइरल थैरेपी ले और सीजेरियन प्रसव कराये तो शिशु में संक्रमण की कितनी सम्भावना रह जाती है?
जब गर्म के दौरान महिला को एन्टी वाइरल थैरेपी दी जाती है तो संक्रमण की सम्भावना लगभग 8 प्रतिशत तक कम हो जाती है। जब शल्यक्रिया की जाती है और एन्टी वाइरल थैरेपी प्रसव के दौरान दी जाती है तो संक्रमण की दर भी घटकर 2 प्रतिशत रह जाती है।
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