जो पुरूष संभोग के दौरान सही तरीके से यौन क्रियाएं नहीं कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है तो उसमें कमी होती है। यह नपुसंकता का लक्षण भी है।
दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधेतौर पर ज्ञानेन्द्रियों(सेंसेज) से होता है। कुछ लोग तो संकोचवश या जागरुकता के अभाव में इस बारे में सही जानकारी नही ले पाते हैं।
हालांकि नंपुसकता अधिक उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा पाई जाती है। जिससे पुरूष महिलाओं के पास जाने से भी घबराने लगते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही यौन इच्छा में कमी होने लगती है।
जो पुरूष सेक्स क्रिया करने में रूचि नहीं रखते और जिनमें उत्तेजना नहीं होती वे पूर्ण नपुंसक होते हैं। जबकि जो पुरूष एक बार तो उत्तेजित होते हैं लेकिन घबराहट या किसी अन्य कारण से अकसर जल्दी शांत हो जाते हैं उन्हें आंशिक नपुंसक कहा जाता है।
संभोग करने के दौरान या करने से पहले घबराहट होना। क्योंकि ऐसे लोगों में विश्वास की कमी होती है और उनके अंदर डर सा बना रहता है।
नपुंसकता के कारण पुरूष का लिंग सामान्य से छोटा हो जाता है जिससे पुरूष ठीक तरह से संभोग करने में असमर्थ होता है।
नपुंसक लोगों में आत्मभविश्वास की कमी होना। अक्सर ऐसे लोग भीड़ से घबराते हैं और महिलाओं से बात करने में दिक्कत होती है।
नपुंसक व्यक्ति के अंडकोष छोटे हो जाते हैं। नपुंसकता के कारण व्यक्ति थकान महसूस करता है।
नंपुसक व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे सही तरह से संभोग ना करने के कारण पीडि़त व्यक्ति बीमार रहने लगता है।
बांझपन के कारण व्यक्ति के प्रजनन अंग कमजो़र हो जाते हैं।
भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना दिया है। फास्ट फूड का ज्यादा प्रयोग और खान-पान में पोषक तत्वों की कमी इसका प्रमुख कारण है
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